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एक हंस और हंसिनी

*ये कहानी आपको झकझोर देगी 2 मिनट में,एक अच्छी सीख अवश्य पढ़ें...*.

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये!

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ??

यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा !

भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।

वह जोर से चिल्लाने लगा।

हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते।

ये उल्लू चिल्ला रहा है।

हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ??

ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।

पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।

सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो।

हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद!

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा

पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।

हंस चौंका- उसने कहा, आपकी पत्नी ??

अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!

उल्लू ने कहा- खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है।

दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गये।

कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी।

पंचलोग भी आ गये!

बोले- भाई किस बात का विवाद है ??

लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है!

लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।

हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है।

इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए!

फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।

उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!

रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको!

हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ??

पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

उल्लू ने कहा- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी!

लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है!

मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है।

यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं!

शायद 65 साल की आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने उम्मीदवार की योग्यता न देखते हुए, हमेशा ये हमारी जाति का है. ये हमारी पार्टी का है के आधार पर अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है, देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैँ!


मातृ दिवस विशेष जानकारी


कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ मदर्स डे
मातृ दिवस विशेष जानकारी
मां ,दुनिया के हर बच्चे के लिए सबसे खास सबसे प्यारा रिश्ता। उस मां को सम्मानित करने के लिए मई माह के दूसरे रविवार को विशेष दिवस मनाया जाता है।
लेकिन अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की अलग-अलग कहानी है। आइए जानते हैं मदर्स डे पर संजोई गई यह स्पेशल जानकारियां-
मदर्स डे ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जॉर्विस द्वारा समस्त माताओं और उनके गौरवमयी मातृत्व के लिए तथा विशेष रूप से पारिवारिक और उनके परस्पर संबंधों को सम्मान देने के लिए आरंभ किया गया था। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। इस दिन कई देशों में विशेष अवकाश घोषित किया जाता है।
कुछ विद्वानों का दावा है कि मां के प्रति सम्मान यानी मां की पूजा का रिवाज पुराने ग्रीस से आरंभ हुआ है। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता था।
यह दिन त्योहार की तरह मनाने की प्रथा थी। एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत के आस-पास इदेस ऑफ मार्च 15 मार्च से 18 मार्च तक मनाया जाता था।
मनाया जाता था मदरिंग संडे
यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं। उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाताथा। जिसे मदरिंग संडे कहा जाता था। मदरिंग संडे फेस्टिवल, लितुर्गिकल कैलेंडर का हिस्सा है। यह कैथोलिक कैलेंडर में लेतारे संडे, लेंट में चौथे रविवार को वर्जिन मेरी और 'मदर चर्च' को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता हैं।
परंपरानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा मां का हर काम परिवार के सदस्य द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है।
जुलिया वॉर्ड होवे ने मनाया सबसे पहले मदर्स डे
अमेरिका में सर्वप्रथम मदर डे प्रोक्लॉमेशन जुलिया वॉर्ड होवे द्वारा मनाया गया था। होवे द्वारा 1870 में रचित "मदर डे प्रोक्लामेशन" में अमेरिकन सिविल वॉर (युद्घ) में हुई मारकाट संबंधी शांतिवादी प्रतिक्रिया लिखी गई थी। यह प्रोक्लामेशन होवे का नारीवादी विश्वास था जिसके अनुसार महिलाओं या माताओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का संपूर्ण दायित्व मिलना चाहिए।
1912 में

सोच मर्जी लड़के दहेज

एक लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक सिधे
साधे लड़के से की जाती है जिसके घर मे एक मां के आलावा
और कोई नहीं है।

दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले होते हैं ।
लड़की किसी और लड़के से बेहद प्यार करती थी और लड़का
भी...
लड़की शादी होके आ गयी अपने ससुराल...सुहागरात के
वक्त लड़का दूध लेके आता है तो दुल्हन सवाल पूछती है
अपने पति से...एक पत्नी की मर्जी के बिना पति उसको
हाथ लगाये तो उसे बलात्कार कहते है या हक?
पति - आपको इतनी लम्बी और गहरी जाने की कोई
जरूरत नहीं है..
बस दूध लाया हूँ पी लिजीयेगा.. . हम सिर्फ आपको शुभ
रात्रि कहने आये थे कहके कमरे से निकल जाता है। लड़की
मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी की
झगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पिछा छुटा सकूँ ।
है तो दुल्हन मगर घर का कोई भी काम नहीं करती। बस
दिनभर online रहती और न जाने किस किस से बातें
करती मगर उधर लड़के की माँ बिना शिकायत के दिन भर
चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती मगर हर
पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती । लड़का एक
कम्पनी मे छोटा सा मुलाजीम है और बेहद ही मेहनती और
इमानदार। करीब महीने भर बित गये मगर पति पत्नी
अब तक साथ नहीं सोये... वैसे लड़का बहुत शांत स्वाभाव
वाला था इसलिए वह ज्यादा बातें नहीं करता था, बस
खाने के वक्त अपनी पत्नी से पूछ लेता था कि... .कहा
खाओगी..अपने कमरे मे या हमारे साथ। और सोने से पहले
डायरी लिखने की आदत थी जो वह हर रात को लिखता
था।
ऐसे लड़की के पास एक स्कूटी था वह हर रोज बाहर
जाती थी पति के अफीस जाने के बाद और पति के वापस
लौटते ही आ जाती थी। छुट्टी का दिन था लड़का भी
घर पे ही था तो लड़की ने अच्छे भले खाने को भी गंदा
कहके मा को अपशब्द बोलके खाना फेंक देती है मगर वह
शांत रहने वाला उसका पति अपनी पत्नी पर हाथ उठा
देता है मगर माँ अपने बेटे को बहुत डांटती है। इधर
लड़की को बहाना चाहिए था झगड़े का जो उसे मिल गया
था, वह पैर पटकती हुई स्कूटी लेके निकल पड़ती है। लड़की
जो रोज घर से बाहर जाती थी वह अपने प्यार से मिलने
जाती थी, लड़की भले टूटकर चाहती थी लड़के को मगर
उसे पता था की हर लड़की की एक हद होती है जिसे
इज्जत कहते है वह उसको बचाये रखी थी। इधर लड़की
अपने प्यार के पास पहुँचकर कहती है।
अब तो एक पल भी उस घर मे नहीं रहना है मुझे । आज
गंवार ने मुझपर हाथ उठाके अच्छा नही किया ।
लड़का - अरे तुमसे तो मैं कब से कहता हूँ की भाग चलो मेरे
साथ कहीं दूर मगर तुम हो की आज कल आज कल पे लगी
रहती हो।
लड़की - शादी के दिन मैं आई थी तो तुम्हारे पास। तुम
ही ने तो लौटाया था मुझे ।
लड़का - खाली हाथ कहा तक भागोगे तुम ही बोलो..मैंने
तो कहा था कि कुछ पैसे और गहने साथ ले लो तुम तो
खाली हाथ आई थी।
आखिर दूर एक नयी जगह मे जिंदगी नये सिरे से शुरू करने के
लिए पैसे तो चाहिए न?
लड़की - तुम्हारे और मेरे प्यार के बारे मे जानकर मेरे
घरवालो ने बैंक के पास बुक एटी एम और मेरे गहने तक रख
लिये थे। तो मैं क्या लाती अपने साथ । हम दोनों मेहनत
करके कमा भी तो सकते थे।
लड़का - चलाकर इंसान पहले सोचता है और फिर काम
करता है। खाली हाथ भागते तो ये इश्क का भूत दो दिन
मे उतर जाता समझी?
और जब भी तुम्हें छुना चाहता हूँ बहुत नखरे है तुम्हारे ।
बस कहती हो शादी के बाद ।
लड़की - हाँ शादी के बाद ही अच्छा होता है ये सब और
सब तुम्हारा तो है। मैं आज भी एक कुवारी लड़की हूँ ।
शादी करके भी आज तक उस गंवार के साथ सो न सकी
क्योंकि तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ बस तुम्हारे
नाम की सिंदूर लगानी बाकी है। बस वह लगा दो सबकुछ
तुम अपनी मर्जी से करना।
लड़का - ठीक है मैं तैयार हूँ । मगर इस बार कुछ पैसे जरूर
साथ लेके आना, मत सोचना हम दौलत से प्यार करते हैं ।
हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है बस कुछ छोटी मोटी
बिजनेस के लिए पैसे चाहिए ।
लड़की - उस गंवार के पास कहा होगा पैसा, मेरे बाप से
3 लाख रूपया उपर से मारूती कार लि है।
बस कुछ गहने है वह लेके आउगी आज।
लड़का लड़की को होटल का पता देकर चला जाता है ।
लड़की घर आके फिर से लड़ाई करती है।
मगर अफसोस वह अकेली चिल्लाती रहती है उससे लड़ने
वाला कोई नहीं था।
रात 8 बजे लड़के का मैसेज आता है वाटसप पे की कब आ
रही हो?
लड़की जवाब देती है सब्र करो कोई सोया नहीं है। मैं
12 बजे से पहले पहुँच जाउगी क्योंकि यंहा तुम्हारे बिना
मेरी सांसे घुटती है।
लड़का -ओके जल्दी आना। मैं होटल के बाहर खड़ा रहूंगा
bye
...
लड़की अपने पति को बोल देती है की मुझे खाना नहीं
चाहिए मैंने बाहर खा लिया है इसलिए मुझे कोई परेशान
न करे इतना कहके दरवाजा बंद करके अंदर आती है
की...पति बोलता है की...वह आलमारी से मेरी डायरी दे
दो फिर बंद करना दरवाजा। हम परेशान नहीं करेंगे ।
लड़की दरवाजा खोले बिना कहती है की चाभीया दो
अलमारी की,
लड़का - तुम्हारे बिस्तर के पैरों तले है चाबी ।
मगर लड़की दरवाजा नहीं खोलती वल्की जोर जोर से
गाना सुनने लगती है। बाहर पति कुछ देर दरवाजा
पिटता है फिर हारकर लौट जाता है। लड़की ने बड़े जोर
से गाना बजा रखा था। फिर वह आलमारी खोलके देखती
है जो उसने पहली बार खोला था, क्योंकि वह अपना
समान अलग आलमारी मे रखती थी।
आलमारी खोलते ही हैरान रह जाती है। आलमारी मे
उसके अपने पास बुक एटी एम कार्ड थे जो उसके घरवालो
ने छीन के रखे थे
खोलके चेक किया तो उसमें वह पैसे भी एड थे जो दहेज मे
लड़के को मिले थे। और बहुत सारे गहने भी जो एक पेपर के
साथ थे और उसकी मिल्कीयेत लड़की के नाम थी, लड़की
बेहद हैरान और परेशान थी। फिर उसकी नजर डायरी मे
पड़ती है और वह जल्दी से
वह डायरी निकालके पढ़ने लगती है।
लिखा था, तुम्हारे पापा ने एक दिन मेरी मां की जान
बचाइ थी अपना खून देकर । मैं अपनी माँ से बेहद प्यार
करता हूँ इसलिए मैंने झूककर आपके पापा को प्रणाम करके
कहा की...आपका ये अनमोल एहसान कभी नही भूलूंगा, कुछ
दिन बाद आपके पापा हमारे घर आये हमारे तुम्हारे
रिश्ते की बात लेकर मगर उन्होंने आपकी हर बात बताई
हमें की आप एक लड़के से बेहद प्यार करती हो। आपके
पापा आपकी खुशी चाहते थे इसलिए वह पहले लड़के को
जानना चाहते थे। आखिर आप अपने पापा की princess
जो थी और हर बाप अपने Princess के लिए एक अच्छा
इमानदार Prince चाहता है। आपके पापा ने खोजकर के
पता लगाया की वह लड़का बहुत सी लड़की को धोखा दे
चुका है। और पहली शादी भी हो चुकी है पर आपको बता
न सके क्योंकि उन्हें पता था की ये जो इश्क का नशा है
वह हमेशा अपनों को गैर और गैर को अपना समझता है।
ऐक बाप के मुँह से एक बेटी की कहानी सुनकर मै अचम्भीत
हो गया। हर बाप यंहा तक शायद ही सोचे। मुझे यकीन
हो गया था की एक अच्छा पति होने का सम्मान मिले न
मिले मगर एक दामाद होने की इज्जत मैं हमेशा पा सकता
हूँ।
मुझे दहेज मे मिले सारे पैसे मैंने तुम्हारे ए काउण्ट मे कर
दिए और तुम्हारे घर से मिली गाड़ी आज भी तुम्हारे घर
पे है जो मैंने इसलिए भेजी ताकी जब तुम्हें मुझसे प्यार हो
जाये तो साथ चलेंगे कही दूर घूमने। दहेज...इस नाम से
नफरत है मुझे क्योंकि मैंने इ दहेज मे अपनी बहन और बाप
को खोया है। मेरे बाप के अंतिम शब्द भी येही थे
की..कीसी बेटी के बाप से कभी एक रूपया न लेना। मर्द
हो तो कमाके खिलाना, तुम आजाद हो कहीं भी जा
सकती हो। डायरी के बिच पन्नों पर तलाक की पेपर है
जंहा मैंने पहले ही साईन कर दिया है । जब तुम्हें लगे की
अब इस गंवार के साथ नही रखना है तो साईन करके कहीं
भी अपनी सारी चिजे लेके जा सकती हो।
लड़की ...हैरान थी परेशान थी...न चाहते हुए भी गंवार के
शब्दों ने दिल को छुआ था। न चाहते हुए भी गंवार के
अनदेखे प्यार को महसूस करके पलके नम हुई थी।
आगे लिखा था, मैंने तुम्हें इसलिए मारा क्योंकि आपने मा
को गाली दी, और जो बेटा खुद के आगे मा की बेइज्जती
होते सहन कर जाये...फिर वह बेटा कैसा ।
कल आपके भी बच्चे होंगे । चाहे किसी के साथ भी हो, तब
महसूस होगी माँ की महानता और प्यार।
आपको दुल्हन बनाके हमसफर बनाने लाया हूँ जबरजस्ती
करने नहीं। जब प्यार हो जाये तो भरपूर वसूल कर लूँगा
आपसे...आपके हर गुस्ताखी का बदला हम शिद्दत से लेंगे हम
आपसे...गर आप मेरी हुई तो बेपनाह मोहब्बत करके
किसी और की हुई तो आपके हक मे दुवाये माँग के
लड़की का फोन बज रहा था जो भायब्रेशन मोड पे था,
लड़की अब दुल्हन बन चुकी थी। पलकों से आशू गिर रहे थे ।
सिसकते हुए मोबाइल से पहले सिम निकाल के तोड़ा फिर
सारा सामान जैसा था वैसे रख के न जाने कब सो गई पता
नहीं चला। सुबह देर से जागी तब तक गंवार अफीस जा
चुका था, पहले नहा धोकर साड़ी पहनी । लम्बी सी
सिंदूर डाली अपनी माँग मे फिर मंगलसूत्र ।
जबकि पहले एक टीकी जैसी साईड पे सिंदूर लगाती थी
ताकी कोई लड़का ध्यान न दे
मगर आज 10 किलोमीटर से भी दिखाई दे ऐसी लम्बी
और गाढी सिंदूर लगाई थी दुल्हन ने। फिर किचन मे जाके
सासुमा को जबर्दस्ती कमरे मे लेके तैयार होने को कहती
है। और अपने गंवार पति के लिए थोड़े नमकीन थोड़े हलुवे
और चाय बनाके अपनी स्कूटी मे सासुमा को जबर्दस्ती
बिठाकर (जबकी कुछ पता ही नहीं है उनको की बहू आज
मुझे कहा ले जा रही है बस बैठ जाती है)
फिर रास्ते मे सासुमा को पति के अफीस का पता पूछकर
अफीस पहुँच जाती है। पति हैरान रह जाता है पत्नी को
इस हालत मे देखकर।
पति - सब ठीक तो है न मां?
मगर माँ बोलती इससे पहले पत्नी गले लगाकर कहती है
की..अब सब ठीक है...I love you forever...
अफीस के लोग सब खड़े हो जाते है तो दुल्हन कहती है
की..मै इनकी धर्मपत्नी हूँ । बनवास गई थी सुबह लौटी
हूँ
अब एक महीने तक मेरे पतिदेव अफीस मे दिखाई नहीं देंगे
अफीस के लोग? ?????
दुल्हन - क्योंकि हम लम्बी छुट्टी पे जा रहे साथ साथ।
पति- पागल...
दुल्हन - आपके सादगी और भोलेपन ने बनाया है।
सभी लोग तालीया बजाते हैं और दुल्हन फिर से लिपट
जाती है अपने गंवार से ...
जंहा से वह दोबारा कभी भी छूटना नहीं चाहती।
* बड़े कड़े फैसले होते है कभी कभी हमारे अपनों की मगर
हम समझ नहीं पाते की...हमारे अपने हमारी फिकर खुद से
ज्यादा क्यों करते हैं*
* मां बाप के फैसलों का सम्मान करे*
क्योंकि ये दो ऐसे शख्स है जो आपको हमेशा दुनियादारी
से ज्यादा प्यार करते हैं ।


एक बहुत ही खूबसूरत

एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की। शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था। लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skinDisease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी।


 इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

 वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था।

 उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा. तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा, “अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे? इतने साल तो तुम्हारी पत्नितुम्हारी मदद किया करती थी.” पति ने जवाब दिया, “दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ। मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था। क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।

 इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया. वह बहुत अच्छी पत्नि थी. मैं बस उसे खुश रखना चाहता था.” .. ...

सीख-- खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए.. और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए... 
आप लोगों को यह कहानी कैसी लगी मित्रों जवाब जरूर दीजिएगा।
राहुल प्रकाश सिंह लेखक pratikar Santosh pidhauli

SANTOSH PIDHAULI

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