सायरी
सायरी वो भी लव
कल रात आखो में एक आँसू आया
में ने उसे पूछा तू बहार क्यों बहार आया ?
तो उसने बोला की कोई मेरे आखो पे इतना है समाया की
में चाह कर भी आपनी जगह बना नही पाया “
कोई कहे मोहब्बत की किरदार से
प्यार वो साया है
जो मिलता नही है हजारो से
हम तो पहेले ही जले बैठे महोबत में क्यों डरते है
देहेकते आन्गारू से “
कसीस दिल की हर चीज सिखा देती है
बंद आखो में सपना सज देती है
सपनों की दुनिया जरूर सजाकर रखना
क्यों की हकीकत तो
एक दिन सब को रुला देती है “
“आपनो ने हमें जेहेरका जम दे दिया
प्यार को बेवफाई का नाम दे दिया
जो कहेते थे भूल ना जाना
उन्हों ने तो भूल जाने का पैगाम दे दिया ““
अपनों से नाता तोड़ देते है
रिश्ता गिरो से जोड़ लेते है
बहो में रहेकर किसी की वो
हमसे वफ़ा का इकरार करते है
ये कैसे चाहत है ये जानकर भी
से प्यार करते है “
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