रक्षाबंधन 2017 मनाने शुभ समय!
रक्षा बंधन भाई-बहन के बीच के प्यार को बढाता है। हर भाई का यह कर्तव्य है की वह अपनी बहन की रक्षा करे। बहन भी राखी के दिन अपने भाई के अच्छे, सफल और सुरक्षित भविष्य की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देता है। इससे एक स्वस्थ पारिवारिक रिश्ते का निर्माण होता है।
त्यौहार परिवार में प्यार और खुशियाँ बढ़ाने के लिये मनाये जाते है। राखी का त्यौहार भी ऐसे ही त्योहारों में से एक है। यह भाई और बहन के रिश्ते का त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास में पूर्ण चंद्रमा की रात को राखी पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन भाई और बहन दोनों नये कपडे पहनते है। राखी बांधने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार (गिफ्ट) भी देता है।
यह एक ऐसा त्यौहार जिसका ज्यादातर संबंध भारत के उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रो से है लेकिन देश के सभी राज्यों में इस त्यौहार को बहुत से समुदाय के लोग ख़ुशी से मनाते है। धार्मिक त्यौहार भले ही अलग-अलग मनाये जाते हो लेकिन रक्षा बंधन का त्यौहार पुरे देश में एकसाथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार हिन्दुओ में आम त्यौहार की ही तरह है। हिन्दू के अलावा इसे सिक्ख, जैन और दुसरे समुदाय के लोग भी ख़ुशी से मनाते है।
रक्षा बंधन को भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग नाम से जानते है, अलग-अलग समुदाय के लोग इसे अलग-अलग नाम से मनाते है। दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्रो में इसे अलग तरह से मनाया जाता है। उत्तरी और उत्तरी-पश्चिमी भारत में राखी के त्यौहार को बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पश्चिमी घाटो में और गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के भी कुछ भागो में इसे पूर्ण चंद्रमा के रात की नारियल पूर्णिमा कहा जाता है।
झारखण्ड, बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में रक्षा बंधन को श्रावणी या कजरी पूर्णिमा भी कहते है। किसानो, महिलाओ और जिन्हें संतान है उनके लिये रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। रक्षाबंधन के दिन को गुजरात में पवित्रोपना के नाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन लोग भगवान शिव की विशाल पूजा अर्चना भी करते है।
परंपराओ के अनुसार इस दिन बहन दिया लगाकर, रोली, चावल और राखी से पूजा की थाली तैयार करती है। वह भगवान की पूजा करती है और अपने भैया के हाँथो (कलाई) पर राखी बाँधती है। भाई भी राखी बंधाने के बाद बहन को उसकी सुरक्षा का वचन देता है और अपनी तरफ से उसे कोई उपहार देता है।
बहुत से शहरो में मेला लगता है, जहाँ सुंदर-सुंदर राखियाँ बेचीं जाती है। महिलाये और लडकियाँ मेले में जाती है और अपने भाइयो के लिये पसंदीदा राखी खरीदती है। कुछ लडकियाँ अपने भाइयो के लिये घर पर ही अपने हाथो से राखी बनाती है।
राखी के दिन महिलाये और लडकियाँ सुबह जल्दी उठती है और लजीज खाना और स्वादिष्ट पकवान बनाना शुरू करती है और अपने भाइयो के लिये पसंदीदा खाना बनाती है।
इसी तरह से इस त्यौहार को पुरे देश में सभी समुदाय के लोग मनाते है। रक्षाबंधन के त्यौहार पर कोई बड़े जश्न का आयोजन करता है तो कोई घर में ही इस त्यौहार को मनाते है। असल में देखा जाये तो रक्षा बंधन उत्तर भारत का त्यौहार है लेकिन इसके महत्त्व को देखते हुए पुरे भारत में लोग इसे अपनी इच्छानुसार मनाते है। भारत में मनाये जाने वाले दुसरे त्योहारों की तरह ही रक्षाबंधन भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि
-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)
रक्षा बंधन भाई-बहन के बीच के प्यार को बढाता है। हर भाई का यह कर्तव्य है की वह अपनी बहन की रक्षा करे। बहन भी राखी के दिन अपने भाई के अच्छे, सफल और सुरक्षित भविष्य की कामना करती है। भाई भी अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देता है। इससे एक स्वस्थ पारिवारिक रिश्ते का निर्माण होता है।
त्यौहार परिवार में प्यार और खुशियाँ बढ़ाने के लिये मनाये जाते है। राखी का त्यौहार भी ऐसे ही त्योहारों में से एक है। यह भाई और बहन के रिश्ते का त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास में पूर्ण चंद्रमा की रात को राखी पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन भाई और बहन दोनों नये कपडे पहनते है। राखी बांधने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार (गिफ्ट) भी देता है।
यह एक ऐसा त्यौहार जिसका ज्यादातर संबंध भारत के उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रो से है लेकिन देश के सभी राज्यों में इस त्यौहार को बहुत से समुदाय के लोग ख़ुशी से मनाते है। धार्मिक त्यौहार भले ही अलग-अलग मनाये जाते हो लेकिन रक्षा बंधन का त्यौहार पुरे देश में एकसाथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार हिन्दुओ में आम त्यौहार की ही तरह है। हिन्दू के अलावा इसे सिक्ख, जैन और दुसरे समुदाय के लोग भी ख़ुशी से मनाते है।
रक्षा बंधन को भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग नाम से जानते है, अलग-अलग समुदाय के लोग इसे अलग-अलग नाम से मनाते है। दक्षिणी और उत्तरी क्षेत्रो में इसे अलग तरह से मनाया जाता है। उत्तरी और उत्तरी-पश्चिमी भारत में राखी के त्यौहार को बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पश्चिमी घाटो में और गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के भी कुछ भागो में इसे पूर्ण चंद्रमा के रात की नारियल पूर्णिमा कहा जाता है।
झारखण्ड, बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में रक्षा बंधन को श्रावणी या कजरी पूर्णिमा भी कहते है। किसानो, महिलाओ और जिन्हें संतान है उनके लिये रक्षाबंधन एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। रक्षाबंधन के दिन को गुजरात में पवित्रोपना के नाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन लोग भगवान शिव की विशाल पूजा अर्चना भी करते है।
परंपराओ के अनुसार इस दिन बहन दिया लगाकर, रोली, चावल और राखी से पूजा की थाली तैयार करती है। वह भगवान की पूजा करती है और अपने भैया के हाँथो (कलाई) पर राखी बाँधती है। भाई भी राखी बंधाने के बाद बहन को उसकी सुरक्षा का वचन देता है और अपनी तरफ से उसे कोई उपहार देता है।
बहुत से शहरो में मेला लगता है, जहाँ सुंदर-सुंदर राखियाँ बेचीं जाती है। महिलाये और लडकियाँ मेले में जाती है और अपने भाइयो के लिये पसंदीदा राखी खरीदती है। कुछ लडकियाँ अपने भाइयो के लिये घर पर ही अपने हाथो से राखी बनाती है।
राखी के दिन महिलाये और लडकियाँ सुबह जल्दी उठती है और लजीज खाना और स्वादिष्ट पकवान बनाना शुरू करती है और अपने भाइयो के लिये पसंदीदा खाना बनाती है।
इसी तरह से इस त्यौहार को पुरे देश में सभी समुदाय के लोग मनाते है। रक्षाबंधन के त्यौहार पर कोई बड़े जश्न का आयोजन करता है तो कोई घर में ही इस त्यौहार को मनाते है। असल में देखा जाये तो रक्षा बंधन उत्तर भारत का त्यौहार है लेकिन इसके महत्त्व को देखते हुए पुरे भारत में लोग इसे अपनी इच्छानुसार मनाते है। भारत में मनाये जाने वाले दुसरे त्योहारों की तरह ही रक्षाबंधन भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि
-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)
इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।इन पांच वस्तुओं का महत्त्व -(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव केप्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान -चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं ।राखी बाँधते समय बहन यह मंत्र बोले –येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: |शिष्य गुरुको रक्षासूत्र बाँधते समय –और चाकलेट ना खिलाकर भारतीय मिठाई या गुड से मुहं मीठा कराएँ।अपना देश
(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ||‘अभिबन्धामि ‘ के स्थान पर ‘रक्षबन्धामि’ कहे | अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरववन्दे मातरम्🚩🚩🚩🚩🚩शक्तिपीठ सेवा संस्थान प्रयागराज। संतोष झा पिढौली
रक्षा बंधन 2017
7 अगस्त
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 11:04 से 21:12अपराह्न मुहूर्त- 13:46 से 16:24पूर्णिमा तिथि आरंभ – 22:28 (6 अगस्त)पूर्णिमा तिथि समाप्त- 23:40 (7 अगस्त)भद्रा समाप्त- 11:04
इस तरह से राखी का त्यौहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को और मजबूत बना
(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल ||‘अभिबन्धामि ‘ के स्थान पर ‘रक्षबन्धामि’ कहे | अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरववन्दे मातरम्🚩🚩🚩🚩🚩शक्तिपीठ सेवा संस्थान प्रयागराज। संतोष झा पिढौली
रक्षा बंधन 2017
7 अगस्त
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 11:04 से 21:12अपराह्न मुहूर्त- 13:46 से 16:24पूर्णिमा तिथि आरंभ – 22:28 (6 अगस्त)पूर्णिमा तिथि समाप्त- 23:40 (7 अगस्त)भद्रा समाप्त- 11:04
इस तरह से राखी का त्यौहार भाई-बहन के बीच के रिश्ते को और मजबूत बना
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