धनतेरस के दिन खरीददारी का बहुत अधिक महत्व है। इसके साथ-साथ इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय धन्वंतरि भी अपने हाथ में कलश लेकर अवतरित हुए थे। जिस दिन भगवान अवतरित हुए थे उस दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी थी। जिसे धनतेरस के दिन पूजा का विधान है। जो कि दीपावली से दो दिन पहलें पडता है।
धन्वंतरि का कलश लेकर अवतरित होने के कारण इस दिन कोई बर्तन खरीदने पर आपको कई गुना ज्यादा फल मिलता है। धन्वंतरि को औषधि के देवता भी कहा जाता है।
धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसके इस दिन उत्पन्न होने के कारण इस दिन इनकी ही पूजा की जाती है। साथ ही इस बार धनतेरस के दिन बहुत ही दुर्लभ योग है। यह योग सोम प्रदोष, चंद्र प्रधान, हस्त नक्षत्र और प्रीति योग का अनोखा संयोग भी बन रहा। यह योग संकेत दे रहा है कि इस दिन जो भी सामान खरीदा जाएगा उसका तेरह गुना लाभ होगा। जानिए धन्वंतरि की पूजा की विधि और किस लग्न में कौन क्या खरीदें ये भी जानिए।
यह त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है क्योंकि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए यह त्यौहार इस तिथि में मनाया जाता है.
जाने क्या है दीपावली की पूजन विधि
जब धन्वन्तरि प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में कलश था जिसके कारण इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. इस दिन कई लोग धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं. दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं.
धनतरेस तिथि – 28 अक्टूबर 2016
धनतेरस पूजा मुहूर्त
- सुबह 09.00 से दोपहर 12.00,
- दोपहर 01.30 से 03.00,
- शाम 06.00 से रात्रि 09.00 तक।
धनतेरस में खरीददारी का मुहूर्त-
- दोपहर 12.15, 01.30 से 03.00,
- शाम 06 से रात्रि 09.00 तक।
धनतेरस पूजन विधि Dhanteras Puja Vidhi
धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है. इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. कहा जाता है की धनतेरस के दिन जितनी खरीददारी की जाती है घर उतना ही धन-धान्य से भरता है.
देवता यमराज के पूजन की विधि The Method Worship of Yama
धनतेरस के दिन देवता यमराज की पूजा की जाती है. साल का एक यही दिन है जिस दिन देवता यमराज की पूजा की जाती है. इस दिन रात्रि के समय देवता यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है.
- धनतेरस के दिन रात्रि में एक आते का दिया बनाये. अब इस दिये को घर के मुख्य द्वार पर रखें.
- रात के समय घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाये तथा दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखें.
- अब जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर स्त्रियां यम का पूजन करें.
- दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो.
भगवान कुबेर की पूजन विधि The Method Worship of Kuber
धनतेरस की पूजा सही प्रकार तथा सही विधि में करनी चाहिए. इससे घर में सुख-शांति में अनुभव होता है तथा घर में धन की कमी नही होती. साथ ही इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है.
- धनतेरस के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर की पूजा करें.
- इसके बाद देव कुबेर को फूल चढाएं.
- अब भगवान कुबेर का ध्यान करें और बोलें
कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूड
मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर हम आपका ध्यान करते हैं.- इसके बाद भगवान कुबेर का धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें और मन्त्र पढ़े.
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।’