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सनम






हम ज़िन्दगी से आस करे भी तो क्या करे ,
जब तुम नहीं हो पास , करे भी तो क्या करे .
आंसू पिए , शराब पिए , ज़हर भी तो पि लिया ,
बुझती नहीं है प्यास , करे भी तो क्या करे …

मुस्कुराते पलकों पे सनम चले आते हैं ,
आप क्या जानो कहाँ से हमारे घूम आते हैं ,
आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं ,
जहा किसी ने कहा था के ठेरों हम अभी आते हैं …


ठुकरा के उसने मुझको ,
कहा की मुस्कुराओ !
मैंने हस दिया

,



आखिर सवाल उसकी ख़ुशी का था .
मैंने खोया वोह जो मेरा था ही नहीं ,
उसने खोया वो जो सिर्फ उसी का था …





जब भी किसीको करीब पाया है
कसम खुदा की वहीँ धोका खाया है
क्यों दोष देते हो काँटों को
ये ज़ख्म तो हमने फूलों से पाया है !!


 

दिल ने तेरे प्यार पैर मजबूर मुझ को करदिया
इस जहां की हर ख़ुशी से दूर मुझ को करदिया
जिस क़दर चाह था दिल ने पास तेरे आने को
इस क़दर दुन्य ने तुझ को मुझ से दूर करदिया ।


मुस्कुराने की वजह क्या जाने हम
हमतो उनकी याद को ताज़ा करते है .
कम्बक्थ ये हसी भी ऐसी है की
उनकी जुदाई में भी रो कर मुस्कुराती है ।


काश वोह नगमे सुनाये न होते
आज उनको सुनकर ये आंसू ए न होते
अगर इस तरह भूल जाना ही था तो
इतनी गहेरी से दिल मैं समाये न होते ॥


एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है ,
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है …
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद ,
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है …

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SANTOSH PIDHAULI

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