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दिल दुखता है




मेरे  नाक  से  तेरे  जिस्म  की  खुसबू  न  गई
दिल  से  वो  पहली  मुलाक़ात  की  रंगत  न  गई
तेरे  होटओं  पे  अभी  रंग -इ -हिना  दीखता  है
ऐ  मेरी  जान  तेरे  जिगर मेरा   दिल  दुखता  है

याद  आती  है  तेरी  अश्क  बहलता  हूँ
तेरी  तस्वीर  को  सिने  से  लगालेता  हूँ
दिन  तो  कट  जाता  है  पर  रात  तहर  कटती है
अश्क  आंखों  से  बहता  हूँ  तो  धल्जती  है

भोके  बचाओं  की  तरह  दिलको  दगा  देता  हूँ
खली  हांड़ी  के  टेल  आग  लगा  लेता  हूँ
जाने  क्यों  प्यार  का  कोई  वक़्त  नहीं  होता  है
अपने  ही  आपसे  दिल  जाने  कहाँ  खोता  है

सिने  माय  दर्द  भी  उठते  हैं  बिना  नोतिसे  के
सुख  से  जीता  था  जो  कल  आज  वही  रोता  है
साडी  बेचैनियों  को  झेल  के  भी  आठ  पहर
उसकी  ही  शकल  को  आंखों   सजा  लेता  है

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SANTOSH PIDHAULI

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