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काश प्यार


काश प्यार का इन्सुरांस होजाता ,
प्यार करने से पहले प्रीमियम भरवाया जाता
प्यार में वफ़ा मिली तो ठीक वरना
बेवफाओं पे जो खर्चा होता उसका क्लेम तो मिल जाता ..

ऐ खुदा ?
सुना ही कुबुलिअत की कोई घरी होती ही ?
ज़रा ये टू बता क किस किस तरह मैंने तुझ से ?
उसी माँगा न था ?



हमारे मुस्कुराने की वजा तुम हो ,
हमारे ज़िन्दगी का मतलब तुम हो अगर चोर देय
साथ
हमारा तो समझ लेना क हमारी मौत की वजा भी तुम हो ।

दर्द की बाज़ार भरी पारी है ,
वो चीज़ न लो जो अन्दर से जली पारी है ,
वफ़ा की तलाश चोर्र दो नादाँ ,
ये दुनिया बेवफाई से भरी पारी है ।


पत्थर की यह दुनिया जज्बात नहीं समझती
दिल में है जो वोह बात नहीं समझती
तनहा तोह चाँद भी है सितारों के बीच
मगर चाँद का दर्द बेवफा रात नहीं समझती ॥


काश हमने की न होती मोहब्बत उस बेवफा से ,
तो आज हमे वफ़ा के बदले बेवाफ़ी मिली न होती ,
चाहते तोह आज भी उन्हें आपनी जान से ज्यादा ,
मगर वोह वफ़ा नहीं समझती


इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती ,
तो सफ़र -इ -ज़िन्दगी में मिठास न होती!
अगर मिलती बेवफा को सजाए मौत ,
तो दीवानों की कब्रे यु उदास न होती !!

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SANTOSH PIDHAULI

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