एक
बुढा आदमी गाँव मेँ रहता था,
उसे को रिस्तेदार या बालक नहीँ था।
एक दिन उसे मन आय कि धुमने को जाऊ गरमी दिन था।
एक गठरी बनाया ओर चल दिया।
चलते-चलते बहुत दूर दुसरे गाँव पहुचा वहाँ एक आदमी नहीँ दिखा दिन के बारह बजे थे।
धुप तेज था प्यास लगे थेँ।
बुढा आदमी ने सोचा के लोग कहाँ चलेगे कुछ बच्चा एक पङे निचे खेल रहे थे।
बच्चे बोला अरे बेट पानी पिला दे।
बच्चे पानी ला के दिया। बुढा आदमी ने बच्चे से पुछा अरे बेटा तेरा गाँव के बङे लोग कहाँ बच्चे ने बोला यहाँ लोग परदेश रहे हे।
इस लिऐ। बुढा आदमी ने वहाँ से आगे चला शाम टाईम हो रहा था।
कुछ दूर आगे मन्दिर दिखाई दिया बुढा आदमी ने सोच रात मेँ यहाँ बिताऐ।
मन्दिर पर पहूचे वहाँ पाँच पडित रहते थे।
बुढा आदमी से पुछा आप कहाँ से आऐ हो बुढा आदमी ने बोला मेँ अपनी गाँव से आऐ।
उस आदर सतकार किया बुढा आदमी सुबह उठकर स्नाण पुजा खान खा के वहाँ से चला रास्ते चलते चलते रास्ते तबियत खराब हो गया।
तब वहाँ एक लकङीहार आऐ उस बुढा आदमी को पानी पिलाया पानी ते बुढा आदमी मर गया लकङीहार उसे बुढा आदमी उटा कर जला कर किरिया क्रम किया
उसे को रिस्तेदार या बालक नहीँ था।
एक दिन उसे मन आय कि धुमने को जाऊ गरमी दिन था।
एक गठरी बनाया ओर चल दिया।
चलते-चलते बहुत दूर दुसरे गाँव पहुचा वहाँ एक आदमी नहीँ दिखा दिन के बारह बजे थे।
धुप तेज था प्यास लगे थेँ।
बुढा आदमी ने सोचा के लोग कहाँ चलेगे कुछ बच्चा एक पङे निचे खेल रहे थे।
बच्चे बोला अरे बेट पानी पिला दे।
बच्चे पानी ला के दिया। बुढा आदमी ने बच्चे से पुछा अरे बेटा तेरा गाँव के बङे लोग कहाँ बच्चे ने बोला यहाँ लोग परदेश रहे हे।
इस लिऐ। बुढा आदमी ने वहाँ से आगे चला शाम टाईम हो रहा था।
कुछ दूर आगे मन्दिर दिखाई दिया बुढा आदमी ने सोच रात मेँ यहाँ बिताऐ।
मन्दिर पर पहूचे वहाँ पाँच पडित रहते थे।
बुढा आदमी से पुछा आप कहाँ से आऐ हो बुढा आदमी ने बोला मेँ अपनी गाँव से आऐ।
उस आदर सतकार किया बुढा आदमी सुबह उठकर स्नाण पुजा खान खा के वहाँ से चला रास्ते चलते चलते रास्ते तबियत खराब हो गया।
तब वहाँ एक लकङीहार आऐ उस बुढा आदमी को पानी पिलाया पानी ते बुढा आदमी मर गया लकङीहार उसे बुढा आदमी उटा कर जला कर किरिया क्रम किया
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