लागा दो आग जन्नत को,
जहाँ न किसी को प्यार मिले;
चुराओं आँख आँख से,
जिनसे गमें-खार मिले |
ना रखो बाँध कर कातिल जुल्फों को,
हँसी चेहरा मुरझा जाएगा ;
खेल कर नागिन-सी लहराती जुल्फों से,
ये, कमल-सा खिल जाएगा |
ऐ हँसी ख्वाबों कि दुनिया,
युँ रूठों न दिवानों से;
तुम्हीं तो हो इनके प्यार दौलत;
बेगानों से क्या शिकवा,
बेगाने तो बेगाने थे,
शिकवा तो मगर दिलसे है,
मेरा होकर भी बेगाना हो गया |
जहाँ न किसी को प्यार मिले;
चुराओं आँख आँख से,
जिनसे गमें-खार मिले |
ना रखो बाँध कर कातिल जुल्फों को,
हँसी चेहरा मुरझा जाएगा ;
खेल कर नागिन-सी लहराती जुल्फों से,
ये, कमल-सा खिल जाएगा |
ऐ हँसी ख्वाबों कि दुनिया,
युँ रूठों न दिवानों से;
तुम्हीं तो हो इनके प्यार दौलत;
लुटो ना हकीकत के अफसानोँ से |
तुम क्या जानो,
दिवानों के जीने की एक यही है ‘दवा’;
छीनो नाइसे यूँ अश्कों भरे पैमाने से;
माना कि ख्वाब- ख्वाब हैं, आबाद हो नहीं सकते,
पर ये तो कोई बात नहीं,की बदला लो परवानों से |
तुम क्या जानो,
दिवानों के जीने की एक यही है ‘दवा’;
छीनो नाइसे यूँ अश्कों भरे पैमाने से;
माना कि ख्वाब- ख्वाब हैं, आबाद हो नहीं सकते,
पर ये तो कोई बात नहीं,की बदला लो परवानों से |
बेगानों से क्या शिकवा,
बेगाने तो बेगाने थे,
शिकवा तो मगर दिलसे है,
मेरा होकर भी बेगाना हो गया |
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