"कितनो की तकदीर बदलनी है तुम्हे,कितनो की तकदीर बदलनी है तुम्हे,
कितनो को रास्ते पे लाना है तुम्हे,
अपने हाथ की लकीरो को मत देखो,
इन लकीरो से आगे जाना है तुम्हे."
"होठों को छुआ उसने तो, एहसास अब तक है, आंखे नम हुई तो सांसो में आग अब तक है, वक़्त गुजर गया, पर उसकी याद नही गई, क्या कहूं, 'हरी मिर्च का स्वाद अब तक है'। "
"आती हो गली मे हीर की तरह, लगती हो मीठी खीर की तरह, आंखों मे चुभी हो तीर की तरह, पर अब समझ चुका हूं कि तुम मुझे,भीख मंगवाओगी फकीर की तरह"
"इसे पहलॆ की दिलो मॆ नफरत जागे,
आओ एक शाम मोहब्बत मे बिता दि जाए ....
करके कुछ मोहब्बत की बातें,
शाम की मस्ती बांध दी जाये."
संतोष कुमार
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