विश्वकर्मा पूजा 2019 । Vishwakarma pooja 2019
हिंदू संस्कृति के अनुसार सभी सृजनात्मक कार्यों का आधार हैं भगवान विश्वकर्मा। इन्हीं के जन्मदिवस को हम विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाते हैं। इस दिन फैक्ट्री, कारखानों, ऑफिस, अस्त्र-शस्त्र, मशीनों और औजारों की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और मन की शान्ति तो मिलती ही है, साथ ही उसके सभी कार्य भी सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं। कारोबार और व्यापार में मुनाफे के लिए भगवान विश्वकर्मा का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दिन घर और कार्यस्थल पर मौजूद सभी मशीनों और औजारों का भी तिलक कर पूजन करना चाहिए ताकि ये सुचारू रूप से कार्य करते रहें।
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा । who is bhagwan vishwakarma
जब सृष्टि का आरंभ हुआ तो क्षीर सागर में भगवान विष्णु जी उत्पन्न हुए और उनकी नाभि कमल में उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी। ब्रह्मा जी के पुत्र हुए धर्म जिनका वस्तु नामक कन्या से विवाह संपन्न हुआ। इन दोनों की सातवीं संतान है वास्तु और इन्हीं के पुत्र हुए विश्वकर्मा जी। वास्तुशास्त्र में इनकी निपुणता देख इनको “वास्तुशास्त्र का जनक” और “देवताओं के शिल्पकार” कहा गया। हम सभी जानते हैं कि इस सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा जी ने किया है लेकिन यह कार्य ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा की सहायता से ही संपन्न किया था।
विश्वकर्मा पूजा का महत्त्व । vishwkarma pooja importance –
निर्माण और सर्जन सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन पर उनकी पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार व व्यापार में वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि हमारे शास्त्रों और पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेता युग की लंका, द्वापर युग की द्वारिका और कलयुग का हस्तिनापुर भगवान विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित था। यहां तक कि भगवान विष्णु का चक्र, शंकर जी का त्रिशूल और इंद्र का वज्र आदि देवताओं के अस्त्र भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था। इसीलिए इस दिन मशीनों और औजारों की पूजा भी की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को “वास्तु शास्त्र के देवता”, “देवताओं के शिल्पकार”, “पौराणिक काल के आर्किटेक्ट”, ‘प्रथम इंजीनियर”, “देवताओं के इंजीनियर”, “मशीनों के देवता” जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इसीलिए इस पर्व और पूजा का महत्व कलाकार, शिल्पकार और व्यापारी वर्ग के लिए काफी बढ़ जाता है।
विश्वकर्मा पूजा कब है। विश्वकर्मा पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त। vishwakarma pooja date and muhurat –
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त 2019
17/18 को मनाया जाएगा मगलबार+ बुधबार
इस वर्ष कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा का आयोजन हो रहा है। यह एक शुभ स्थिति है। संक्रांति का पुण्य काल सुबह 7 बजकर 2 मिनट से है। इस समय पूजा आरंभ की जा सकती है।
सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है और शाम 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल रहेगा। इन समयों को छोड़कर कभी भी पूजा आरंभ कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा विधि। vishwakarma pooja 2019 vidhi –
विश्वकर्मा पूजा करने के लिए व्यक्ति प्रातः स्नानादि कार्यों को पूर्ण करें और जिस स्थल पर पूजा होनी है उसकी सफाई करें। अब गणेश जी, विष्णु जी और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा एक स्वच्छ वस्त्र बिछाकर विराजित करें। विश्वकर्मा जी का ध्यान करते हुए हाथ में पुष्प और अक्षत (फूल और चावल) लेकर पूरे घर या दफ्तर में छिड़क दें। पूजन स्थल पर कलश भी स्थापित करें। सबसे पहले गणेश जी और विष्णु जी का पूजन करें और फिर कलश को तिलक कर विश्वकर्मा जी का पूजन आरंभ करें। भगवान का तिलक कर उन्हें फल, मिठाई और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद यज्ञ की अग्नि को प्रज्वलित करें, धूप और दीप भी जलाकर रखें। अपने पंडित जी के बताए अनुसार यज्ञ में आहुतियां दें और याआरती करें। अंत में पूजा के दौरान हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें। विश्वकर्मा पूजा के लिए महत्वपूर्ण मंत्र यह हैं-
‘ॐ आधार शक्तपे नम: ‘और ‘ॐ कूमयि नम:’, ‘ॐ अनन्तम नम:’, ‘पृथिव्यै नम:’,
रुद्राक्ष की माला से इनका ध्यान करें। हिंदू धर्म में इस पूजा के लिए धूप, दीप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि सामग्री का प्रयोग आवश्यक माना जाता है। पूजन समाप्त होने पर सभी भक्तजनों में प्रसाद बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें। पूजन के अगले दिन प्रतिमा का किसी नदी या जलाशय में विसर्जन कर देना चाहिए। यह पूजा जोड़े में अर्थात पति-पत्नी साथ में करें तो अधिक फलदाई होती है।
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