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गणेश चतुर्थी 2019


गणेश चतुर्थी
२वाँ
सितम्बर २०१९
(सोमवार)
गणेश चतुर्थी


गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त

मध्याह्न गणेश पूजा का समय = ११:०५ से १३:३६
अवधि = २ घण्टे ३१ मिनट्स
२nd को, चन्द्रमा को नहीं देखने का समय = ०८:५५ से २१:०५
अवधि = १२ घण्टे ९ मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = २/सितम्बर/२०१९ को ०४:५६ बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = ३/सितम्बर/२०१९ को ०१:५३ बजे
गणेश चतुर्थी के दिन का पञ्चाङ्ग
गणेश चतुर्थी के दिन का चौघड़िया मुहूर्त
टिप्पणी - २४ घण्टे की घड़ी नई दिल्ली के स्थानीय समय के साथ और सभी मुहूर्त के समय के लिए डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है)।
२०१९ गणेश चतुर्थी


गणेश चतुर्थी पूजा विधि
भगवान गणेश की गणेश-चतुर्थी के दिन सोलह उपचारों से वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा की जाती है। भगवान की सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजा कहते हैं। गणेश-चतुर्थी की पूजा को विनायक-चतुर्थी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान गणेश को प्रातःकाल, मध्याह्न और सायाह्न में से किसी भी समय पूजा जा सकता है। परन्तु गणेश-चतुर्थी के दिन मध्याह्न का समय गणेश-पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मध्याह्न के दौरान गणेश-पूजा का समय गणेश-चतुर्थी पूजा मुहूर्त कहलाता है।

गणेश-पूजा के समय किये जाने वाले सम्पूर्ण उपचारों को नीचे सम्मिलित किया गया है। इन उपचारों में षोडशोपचार पूजा के सभी सोलह उपचार भी शामिल हैं। दीप-प्रज्वलन और संकल्प, पूजा प्रारम्भ होने से पूर्व किये जाते हैं। अतः दीप-प्रज्वलन और संकल्प षोडशोपचार पूजा के सोलह उपचारों में सम्मिलित नहीं होते हैं।

यदि भगवान गणपति आपके घर में अथवा पूजा स्थान में पहले से ही प्राण-प्रतिष्ठित हैं तो षोडशोपचार पूजा में सम्मिलित आवाहन और प्रतिष्ठापन के उपचारों को त्याग देना चाहिये। आवाहन और प्राण-प्रतिष्ठा नवीन गणपति मूर्ति (मिट्टी अथवा धातु से निर्मित) की ही की जाती है। यह भी उल्लेखनीय है कि घर अथवा पूजा स्थान में प्रतिष्ठित मूर्तियों का पूजा के पश्चात विसर्जन के स्थान पर उत्थापन किया जाता है।

गणेश चतुर्थी पूजा के दौरान भक्तलोग भगवान गणपति की षोडशोपचार पूजा में एक-विंशति गणेश नाम पूजा और गणेश अङ्ग पूजा को भी सम्मिलित कर लेते हैं।
आवाहन एवं प्रतिष्ठापन (Avahana and Pratishthapan)
आवाहन (Avahana)
सर्वप्रथम, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा के सम्मुख आवाहन-मुद्रा दिखाकर, उनका आवाहन करें।
गणेश चतुर्थी पूजा
प्रतिष्ठापन (Pratishthapan)
आवाहन के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ कर भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा करें।
आसन समर्पण (Asana Samarpan)
आवाहन एवं प्रतिष्ठापन के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को आसन के लिये पाँच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने छोड़े।
पाद्य समर्पण (Padya Samarpan)
आसन समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पाद्य (चरण धोने हेतु जल) समर्पित करें।
अर्घ्य समर्पण (Arghya Samarpan)
पाद्य समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को गन्धमिश्रित अर्घ्य जल समर्पित करें।
आचमन (Achamana)
अर्घ्य समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए आचमन के लिए भगवान गणेश को जल समर्पित करें।
स्नान मन्त्र (Snana Mantra)
स्नान (Snana)
आचमन समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को जल से स्नान कराएँ।
पञ्चामृत स्नानम् (Panchamrita Snanam)
जल से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पञ्चामृत से स्नान कराएँ।
पयः/दूध स्नानम् (Payah/Dugdha Snanam)
पञ्चामृत से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पयः (दूध) से स्नान कराएँ।
दधि स्नानम् (Dadhi Snanam)
पयः से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दही से स्नान कराएँ।
घृत स्नानम् (Ghrita Snanam)
दही से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को घी से स्नान कराएँ।
मधु स्नानम् (Madhu Snanam)
घी से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शहद से स्नान कराएँ।
शर्करा स्नानम् (Sharkara Snanam)
शहद से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शर्करा (शक्कर) से स्नान कराएँ।
सुवासित स्नानम् (Suvasita Snanam)
शर्करा से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को सुगन्धित तेल से स्नान कराएँ।
शुद्धोदक स्नानम् (Shuddhodaka Snanam)
सुगन्धित तेल से स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शुद्ध जल से स्नान कराएँ।
वस्त्र समर्पण वं उत्तरीय समर्पण (Vastra Samarpan and Uttariya Samarpan)
वस्त्र समर्पण (Vastra Samarpan)
शुद्धोदक स्नान के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को मोली के रूप में वस्त्र समर्पित करें।
उत्तरीय समर्पण (Uttariya Samarpan)
वस्त्र समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शरीर के ऊपरी अङ्गो के लिए वस्त्र समर्पित करें।
यज्ञोपवीत समर्पण (Yajnopavita Samarpan)
वस्त्र एवं उत्तरीय समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पित करें।
गन्ध (Gandha)
यज्ञोपवीत समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को सुगन्धित द्रव्य समर्पित करें।
अक्षत (Akshata)
गन्ध समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को अक्षत चढ़ायें।
पुष्प माला, शमी पत्र, दुर्वाङ्कुर, सिन्दूर (Pushpa Mala, Shami Patra, Durvankura, Sindoor)
पुष्प माला (Pushpa Mala)
अक्षत समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पुष्प माला चढ़ायें।
शमी पत्र (Shami Patra)
पुष्प माला समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को शमी पत्र चढ़ायें।
दुर्वाङ्कुर (Durvankur)
शमी पत्र समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दुर्वाङ्कुर (तीन अथवा पाँच पत्र वाला दूर्वा) चढ़ायें।
सिन्दूर (Sindoor)
दुर्वाङ्कुर समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को तिलक के लिये सिन्दूर चढ़ायें।
धूप (Dhoop)
सिन्दूर समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को धूप समर्पित करें।
दीप समर्पण (Deep Samarpan)
धूप समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दीप समर्पित करें।
नैवेद्य एवं करोद्वर्तन (Naivedya and Karodvartan)
नैवेद्य निवेदन (Naivedya Nivedan)
दीप समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पित करें।
चन्दन करोद्वर्तन (Chandan Karodvartan)
नैवेद्य समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को चन्दन युक्त जल समर्पित करें।
ताम्बूल, नारिकेल एवं दक्षिणा समर्पण (Tambula, Narikela and Dakshina Samarpan)
ताम्बूल समर्पण (Tambula Samarpan)
चन्दन करोद्वर्तन के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को ताम्बूल (पान, सुपारी के साथ) समर्पित करें।
नारिकेल समर्पण (Narikela Samarpan)
ताम्बूल समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को नारियल समर्पित करें।
दक्षिणा समर्पण (Dakshina Samarpan)
नारिकेल समर्पण के पश्चात्, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को दक्षिणा समर्पित करें।
नीराजन एवं विसर्जन (Neerajan and Visarjan)
नीराजन/आरती (Neerajan/Aarti)
निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ने के पश्चात्, भगवान गणेश की आरतीकरें।
पुष्पाञ्जलि अर्पण (Pushpanjali Arpan)
निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए भगवान गणेश को पुष्पाञ्जलि समर्पित करें।
प्रदक्षिणा (Pradakshina)
भगवान गणेश की प्रदक्षिणा (बाएँ से दाएँ ओर की परिक्रमा) के साथ निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए श्रीगणेश को फूल समर्पित करें।
विसर्जन (Visarjan)
दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प लेकर विसर्जन हेतु निम्न-लिखित मन्त्र पढ़े।

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