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क्या ज़माना था


के  हम  रोज़  मिला  करते  थे ,
रात  भर  चाँद  के  हमराज़  फिरा  करते  थे ,
देख कर  जो  हमें  चुप  चाप  गुज़र  जाते  है ,

कभी  उस  शख्स  से  हम  प्यार  किया  करते  थे .
कोई  साथ  ना  दे  मेरा ,चलना  मुझे  अता  है .
हर  आग  से  वाकिफ  हूँ ,जलना  मुझे   अता  है

यूँ  तो  गुज़र  रहा  है , हर  इक  पल  ख़ुशी  के  साथ ,
फिर  भी  कोई  कमी  सी  है , क्यों  ज़िन्दगी  के  साथ

रिश्ता  वफायें  दोस्ती , सब  कुछ  तो  पास  है ,
क्या  बात  है  पता  नहीं , दिल  क्यूँ  उदास  है ,
हर  लम्हा  है  हसीं , नयी  दिलकशी  के  साथ ,
फिर  भी  कोई  कमी  सी  है , क्यों  ज़िन्दगी  के  साथ

चाहत  भी  है  सुकून  भी  है  दिलबरी  भी  है ,
आँखों  में  खवाब  भी  है , लबों  पर  हंसी  भी  है ,
दिल  को  नहीं  है  कोई , शिकायत  किसी  के   साथ ,
फिर  भी  कोई  कमी   सी  है , क्यूँ  ज़िन्दगी  के  साथ

सोचा  था  जैसा  वैसा  ही  जीवन  तो  है  मगर ,
अब  और  किस  तलाश  में  बैचैन  है  नज़र ,
कुदरत  तो  मेहरबान  है , दरयादिली  के  साथ ,
फिर  भी  कोई  कमी  सी  है , क्यूँ  ज़िन्दगी  के  साथ  

उड़  के  करना  क्या   है ?
जब  येही  जीना  है  दोस्तों  तो  फिर  मरना  क्या है ?
पहेली  बारिश  में  ट्रेन  लेट  होने  की  फ़िक्र  है
भूल  गए  भीगते  हुए  तहेलना  क्या  है ?
सेरैल्स  के  किरदारों  का  सारा  हाल  है  मालूम
पर  माँ  का  हाल  पूछने  की  फुर्सत  किसे  है ?






SANTOSH PIDHAULI

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