फ़ॉलोअर

चार शब्दों


बचपन में मेरा था,
जवानी में उनका हो गया,
आया दौरे-बुढापा तो,
दुनिया की भीड़ में खो गया |      
   ******************
पल-भर की होठों की हंसी,
दिल-बहार ले आती थी,
चार शब्दों की बे-वफाईने,
चमन को खिजा में बदल दिया |
*****************
इन्सान क्या चीज हैं,
पैसें वाला ही जाने,
कल तक जिसे दुत्कारते थे,
आज,चले है उन्हें मनाने क्योंकि,
अब वह इन्सान’,
इन्साफ की कुसीं पर बैठा हैं |
****************
खुशी तभी खुशी हैं,
जब खुशी में शरीक होने वाले हो,
गम तभी कम होते है,
जब इन्हे बाँटने वाले 'अपने' हो |
******************
ढलती शाम है 'रूश्ंवा',
दिल मे मिलन की प्यास है,     
तुम्हारी याद  मे 'ईश्वर 'की,
जिन्दगी कितनी उदास है |
***********************
दर्द जुदाई कोई क्या जाने,
कैसे कटते है, पल,लम्हे व दिन,
मुदूदतें हो गई, अब तो,
जीना सीख लिया तुम्हारे बिन |
*******************


1 टिप्पणी:

https://santoshpidhauli.blogspot.com/

SANTOSH PIDHAULI

facebook follow

twitter

linkedin


Protected by Copyscape Online Copyright Protection
Text selection Lock by Hindi Blog Tips
Hindi Blog Tips

मेरी ब्लॉग सूची