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नाग पंचमी 2018

नाग पंचमी 2018


हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा उपासना के लिये व्रत व त्यौहार मनाये ही जाते हैं साथ ही देवी-देवताओं के प्रतिकों की पूजा अर्चना करने के साथ साथ उपवास रखने के दिन निर्धारित हैं। नाग पंचमी एक ऐसा ही पर्व है। नाग जहां भगवान शिव के गले के हार हैं। वहीं भगवान विष्णु की शैय्या भी। लोकजीवन में भी लोगों का नागों से गहरा नाता है। इन्हीं कारणों से नाग की देवता के रूप में पूजा की जाती है। सावन मास के आराध्य देव भगवान शिव माने जाते हैं। साथ ही यह समय वर्षा ऋतु का भी होता है जिसमें माना जाता है कि भू गर्भ से नाग निकल कर भू तल पर आ जाते हैं। वह किसी अहित का कारण न बनें इसके लिये भी नाग देवता को प्रसन्न करने के लिये नाग पंचमी
की पूजा की जाती है।

नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध
नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग को भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से खिसक लिया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

क्यों करते हैं नाग पंचमी पूजा
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। काल सर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।

नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें
इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप मे अर्पित की जाती है। सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।

नाग पंचमी 2018
15 अगस्त
पूजा मुहूर्त - 05:55 से 8:31 (15 अगस्त 2018)
पंचमी तिथि प्रारंभ - 03:27 (15 अगस्त 2018)
पंचमी तिथि समाप्ति - 01:51 (16 अगस्त 2018)

एक युवती बगीचे में मेरे पति


एक युवती बगीचे में
बहुत गुस्से में बैठी थी , पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे उन्होने उस परेशान युवती से पूछा क्या हुआ बेटी ? क्यूं इतना परेशान हो ?
युवती ने गुस्से में अपने पति की गल्तीयों के बारे में बताया
बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कराते हुए युवती से पूछा बेटी क्या तुम बता सकती हो तुम्हारे घर का नौकर कौन है ?
युवती ने हैरानी से पूछा क्या मतलब ?
बुजुर्ग ने कहा :- तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रख कर उनको पूरा कौन करता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग ने पूछा :- तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- तुम्हें और बच्चों को किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए हमेशा चिंतित कौन रहता है ?

युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग ने फिर पूछा :- सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालों की और अपने अधिकारियों की खरी खोटी हमेशा कौन सुनता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- परेशानी ऒर गम में कॊन साथ देता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- तुम लोगोँ के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सारे सगे संबंधियों को यहां तक अपने माँ बाप को भी छोड़कर जंगलों में भी नौकरी करने को कौन तैयार होता है ?

युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- घर के गैस बिजली पानी, मकान, मरम्मत एवं रखरखाव, सुख सुविधाओं, दवाईयों, किराना, मनोरंजन भविष्य के लिए बचत, बैंक, बीमा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पास पड़ोस, ऑफिस और ऐसी ही ना जाने कितनी सारी जिम्मेदारियों को एक साथ लेकर कौन चलता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग :- बीमारी में तुम्हारा ध्यान ऒर सेवा कॊन करता है ?
युवती :- मेरे पति
बुजुर्ग बोले :- एक बात ऒर बताओ तुम्हारे पति इतना काम ऒर सबका ध्यान रखते है क्या कभी उसने तुमसे इस बात के पैसे लिए ?
युवती :- कभी नहीं
इस बात पर बुजुर्ग बोले कि पति की एक कमी तुम्हें नजर आ गई मगर उसकी इतनी सारी खुबियां तुम्हें कभी नजर नही आई ?
आखिर पत्नी के लिए पति क्यों जरूरी है ?
मानो न मानो जब तुम दुःखी हो तो वो तुम्हे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
वो अपने दुःख अपने ही मन में रखता है लेकिन तुम्हें नहीं बताता ताकि तुम दुखी ना हो।
हर वक्त, हर दिन तुम्हे कुछ अच्छी बातें सिखाने की कोशिश करता रहता है ताकि वो कुछ समय शान्ति के साथ घर पर व्यतीत कर सके और दिन भर की परेशानियों को भूला सके।
हर छोटी छोटी बात पर तुमसे झगड़ा तो कर सकता है, तुम्हें दो बातें बोल भी लेगा परंतु किसी और को तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं बोलने देगा।
🌹 तुम्हें आर्थिक मजबूती देगा और तुम्हारा भविष्य भी सुरक्षित करेगा।
🌹 कुछ भी अच्छा ना हो फिर भी तुम्हें यही कहेगा- चिन्ता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।।
🌹 माँ बाप के बाद तुम्हारा पूरा ध्यान रखना और तुम्हे हर प्रकार की सुविधा और सुरक्षा देने का काम करेगा।
🌹 तुम्हें समय का पाबंद बनाएगा।
🌹 तुम्हे चिंता ना हो इसलिए दिन भर परेशानियों में घिरे होने पर भी तुम्हारे 15 बार फ़ोन करने पर भी सुनेगा और हर समस्या का समाधान करेगा।

🌹 चूंकि पति ईश्वर का दिया एक स्पेशल उपहार है, इसलिए उसकी उपयोगिता जानो और उसकी देखभाल करो।
👸 ये मैसेज हर विवाहित स्त्री के 📱 मोबाइल मे होना चाहिए, ताकि उन्हें अपनी पति के महत्व का अंदाजा हो।
पोस्ट को शेयर करना मत भूलना मेरे द

*मनुष्य का अपना क्या है ?*

धीरे धीरे पढिये पसंद आएगा...

👌मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....

👌कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं.... 

👌जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

👌बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी...

👌खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...

👌अहंकार दिखा के किसी रिश्ते को तोड़ने से अच्छा है कि माफ़ी मांगकर वो रिश्ता निभाया जाये....

👌जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है.. सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...

👌खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...

👌ज़िंदगी भी वीडियो गेम सी हो गयी है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल और मुश्किल आ जाता हैं.....

👌इतनी चाहत तो लाखों रुपये पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......

👌हमेशा छोटी छोटी गलतियों से बचने की कोशिश किया करो, क्योंकि इन्सान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है..

*मनुष्य का अपना क्या है ?*
*जन्म :-*     दुसरो ने दिया
*नाम  :-*     दुसरो ने रखा
*शिक्षा :-*    दुसरो ने दी
*रोजगार :-* दुसरो ने दिया और
*शमशान :-* दुसरे ले जाएंगे
तो व्यर्थ में घमंड किस बात पर करते है लोग 👏

दिल को छुआ हो अपने best friend को जरुर शेयर करे मे हू तो मुझे भी शेयर करे😊

जिउतीया व्रत कथा

जिउतीया व्रत कथा --
एह व्रत मे एगो चिल्हो सियारो के प्रचलित कथा सुनल जाला जवन ए तरह से बा ..
एगो बन मे सेमर के गाछ पर एगो चिल्हो (चील)राहत रहनी और ओकारे पास झाडी मे एगो सियारिन रहत रहे ..दुनु मे खुब पटत रहे ..चिल्हो जवन कुछ खाए के लेआवे ओमे से सियारिन के भी हिस्सा देवे और सियारिन भी चिल्हो के खुब खयाल राखत रहे ए तरह दुनु के जीवन निक से कटत रहे ,
एक् बार बन के पास गांव मे मेहरारू लोग जिउतीया के पूजा के तैयारी करत रहे लोग उ सब चिल्हो बडा ध्यान से देख्ली और उनका अपना पिछला जनम के कुल इयाद पड गईल तब सियारो और चिल्हो दुनु जाना जिउतिया भुखे के विचार कईलस लोग ,बडा निष्ठा और लगन से दुनु जाना दिनभर भुखे पियासे मंगल कामना करत भूखल रहे लोग .मगर रात होते सियारिन के भूख पियास लागे लागल और जब बर्दास्त ना भईल त जंगल मे जाके मांस और हड्डी खाए लागल चिल्हो के हड्डी खाय के कड कड आवाज आवे लागल तू उ पुछ्ली की "बहिन "तू का करतारू त सियारिन कहलि की बहिन भूख के मारे पेट कड़कडा रहल बा.. मगर चिल्हो के पता लाग गईल तब सियारिन के खुब लताडली की जब तोसे ब्रत ना निबाहे के रहल त पहिलाही कह देतू..सियारीन लजा गईली .चिल्हो रात भर भुखे पियासे ब्रत पूरा कईली ..


एकर परिणाम ई भईल की चील्हो के कुल सन्तान दीर्घायु सुखी और सम्पान भईलन और सियारिन के एक् एक् कर के कुल संतान खतम हो गईल .......
एसे कुल माइ लोग ईहे कामना करेला की सब चील्हो के तरह होखो सियारिन के जैसन ना ....
ई पर्व के व्रतविश्वास से जब पुत्र के प्राप्ति होला त लोककथा में दिहल गईल संकेत के अनुसार ओकर नाव "जीउत"रखाला
पुराण में जीवत्पुत्रिका व्रत की कथा के साथ जो जीमूत वाहन की कथा के भी जिक्र होला वह क पौराणिक जीमूतवाहन नाग कुल के रक्षा खातिर आपन देह के त्याग कईले रहलन ,

कैलाश पर्वत पर भगवान शंकर माता पार्वती के कथा सुनावत कहेलन कि आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन उपवास रख के जे माता सायं प्रदोषकालमें जीमूतवाहन के पूजा करेनी और कथा सुने के बाद आचार्य के दक्षिणा देनी ऊ पुत्र-पौत्र के पूर्ण सुख प्राप्त करेनी व्रत के पारण दोसरका दिने अष्टमी तिथि के समाप्ति के पश्चात कईल जाला ई व्रत अपने नाम के अनुरूप फल देवे वाला व्रत हवे ...... भगवान सबके मंगल कामना पूर्ण करस ...

हिन्दुओ का एक पर्व है जिसे "जितिया" अथवा "जियुतिया" भी कहते है , ज़रूरी नहीं की आपको इसके बारे में पता हो क्यूकी ये पर्व कुछ क्षेत्रो में ही मनाया जाता है . पर मै आपको इसके बारे में कुछ जानकारी देना चाहूँगा . ये पर्व एक माँ अपनी संतान की लम्बी उम्र के लिए करती है . इस दिन माएं अन्न अथवा जल की एक बूँद भी अपने मुख में नहीं जाने देती अर्थात निर्जला व्रत करती हैं . इस पर्व की शुरुआत कैसे हुई इस बारे में कई कथाये प्रचलित है जिनमे से एक के बारे में मै कुछ बताना चाहूँगा .

"एक बार पार्वती जी ने एक स्त्री को रोते हुए देखा , इससे व्यथित होकर उन्होंने भगवान शिव शंकर जी से पूछा की ये महिला क्यों विलाप कर रही है ?

यह सुनकर भगवन शंकर ने बताया की उस स्त्री का पुत्र कम आयु में ही चल बसा था. यह सुनकर माँ पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा की "हे स्वामी एक माँ द्वारा अपने पुत्र की मृत्यु देखना सबसे कष्टकर स्थिति है. आप कृपा कर कोई ऐसा तरीका बताये जिससे माँ अपने पुत्रो की लम्बी आयु देख सके. यह सुनकर भगवान् शिव शंकर ने बताया की जो माँ जितिया का व्रत करेगी उसका पुत्र दीर्घायु होगा . इस प्रकार सभी माएं जितिया का व्रत करने लगी " 

ऐसा नहीं की ये एकमात्र कथा है . इसके अलावा "चूली सियार" , "भगवान् जियुत" आदि की कथाये भी है . हिन्दुओ के पर्वो की यह भी एक विशेषता है की किसी पर्व का इतिहास खोजने जाओ तो कई कहानियां मिलेंगी , आप स्वतंत्र होकर किसी एक को मान सकते है या फिर निर्बोध भाव से बस उस पर्व त्यौहार का मज़ा ले सकते है . 

खैर मै बात कर रहा था जितिया पर्व के बारे में . मुझे यह देख एक मिश्रित अनुभव होता है जिसमे एक तरफ तो एक माँ द्वारा अपनी संतानों के लिए दिन भर निर्जल व्रत करने की बात पर मुझे आश्चर्य होता है तो दूसरी तरफ यह देख मन हर माँ के लिए आदर से भर उठता है. बात यह नहीं की आप दिनभर कुछ खाते पीते नहीं इसलिए बल्कि इसके पीछे के छुपे ममता भरे भाव देख मन भाव विभोर हो उठता है .

और यह बात सिर्फ किसी एक धर्म से जुडी नहीं बल्कि मेरी नज़र जहां तक जाती है हर धर्म में माँ को इश्वर तुल्य स्थान दिया गया है . कहते भी है की भगवान् सब जगह नहीं हो सकते थे इसीलिए उन्होंने माँ बनायीं. माँ वो है जो निः स्वार्थ प्रेम की सरिता है , माँ वो है जो हमे भगवान् के हर रूप से मिला सकती है . अगर हमारी गलतियों पर हमे डाटती है तो उसके पीछे भी यही भाव होता है की हम सही पथ से भटके नहीं और गलत राह जाकर दुःख के भागी ना बने. हमे वो इस दुनिया का पहला परिचय देती है. डांट कर या प्यार से हमे सदा सही राह दिखाती है. हमारे दुःख के क्षणों में भागी और सुख के क्षणों में सहभागी बनकर हर कदम हमारा साथ निभाती है. वो हमसे हमारे लिए ही लड़ती भी है .

"सचमुच माँ ,माँ होतीहै " 

और यही देख मुझे "नीदा फाजली" का एक बड़ा मशहूर शेर याद आता है जिसके साथ मै आज की बाते ख़त्म करना चाहूंगा जो माँ और बेटे के बीच के अनूठे बंधन को दर्शाता है: 

"मै रोया परदेस में , भीगा माँ का प्यार

दिल ने दिल से बात की बिन चिट्ठी बिन तार"
Vikas Mishra जी लिखे हे 

सायरी वो भी लव सायरी (हिन्दी)









जिसे समुझते थे हम अपनी ज़िन्दगी की तरहां
वो आशना भी मिला है अजनबी की तरहां

बोहोत ही टूट के चाहा था ये खियाल न था
की दोस्ती भी करेगा वो अजनबी की तरहां
हमें तू पियर के बदले में गम नसीब होगा
मिली न हम


को ख़ुशी भी कभी ख़ुशी की तरहां
कभी अकेले में बैठों तो गुन गुनाऊ तुझे
के आये मेरे लबों पे तू सायरी की तरहां


एक चिडिया को एक सफ़ेद 
गुलाब से प्यार हो गया , 
उसने गुलाब को प्रपोस किया ,
गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा ,





जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थी







तु मेरे गलियो मे आया है दिवानो की तरह
मै चला जाऊंगा कही और बहानो की तरह
अईसे ना देख तु हमके हम दिवाना हईँ-2
कहीलेँ खाके किरीया हम परवाना हईँ-2
हम त मर जाईब अब ईहवा लाशो की तरह
तु मेरे गलियो मे आया है दिवानो कि तरह
अईसे ना पलक झुकावऽ
रम के मारे-2
केतना करेलू तु प्यार हमे बता दे-2
हम पर भी बरस जा तु बरसातो की तरह
तु मेरे गलियो मे आया है दिवानो कि तरह
काहे मिलेलू तु हमसे अनजान
बनके-2
आवऽ न पास तु हमरा,हमार जान बनके-2
दिल से हेराईल मुकेश के पहचानोगे किधर
तु मेरे गलियो मे आया है दिवानो कि तर

1. तहार मुस्कान हमार कमजोरी बा
कह ना पावल हमार मजबुरी बा
तु काहे ना समझेलू हमार चुप रहल,
का चुप्प रहला के जुबान दिरुरी बा ।

2.हम के मत कहऽ शेर सुनावे खातिर
आपन दिल चीर के दिखावे खातिर
हम त सायरी करीना
,
खाली आपन दर्द मिटावे खातिर
3.तु करीब ना अईलू त ईजहार का करती
खुद बन गईनी शिकार त शिकार का करती
मर गईनी पर खुलले रहे आँख
,
एकरा से ज्यादा तहार इंतजार का करती
4.हर दिल क एगो राज होला
हर बात क एगो अंदाज होला
जब तक ना लागे बेवफाई के ठोकर
,
हर केहू के अपना पसंद पर नाज होला ।
5.खुशी क एगो संसार लेके आईब
पतझङ मे भी बहार लेके आईब
जब भी बोलईबू प्यार से
,
मौत से भी सांस उधार लेके आईब





गोकुल यमुना घाट


“कल रात आखो में एक आँसू आया 
में ने उसे पूछा तू बहार क्यों बहार आया ? 
तो उसने बोला की कोई मेरे आखो पे इतना है समाया की 
में चाह कर भी आपनी जगह बना नही पाया ““कोई कहे मोहब्बत की किरदार से 
प्यार वो साया है जो मिलता नही है हजारो से 
हम तो पहेले ही जले बैठे महोबत में क्यों डरते है 
देहेकते आन्गारू से “ 
“कसीस दिल की हर चीज सिखा देती है
बंद आखो में सपना सज देती है 
सपनों की दुनिया जरूर सजाकर रखना 
क्यों की हकीकत तो एक दिन सब को रुला देती है “ “आपनो ने हमें जेहेरका जम दे दिया 
प्यार को बेवफाई का नाम दे दिया 
जो कहेते थे भूल ना जाना 
उन्हों ने तो भूल जाने का पैगाम दे दिया “ “अपनों से नाता तोड़ देते है

रिश्ता गिरो से जोड़ लेते है 
बहो में रहेकर किसी की वो 
हमसे वफ़ा का इकरार करते है 
ये कैसे चाहत है ये जानकर भी 
pujaसे प्यार करते है “




कहने को कह गए कई ……………..
कहने को कह गए कई बात ख़ामोशी से
कटते-कटते कट ही गई रात ख़ामोशी से
न शोर-ए-हवा, न आवाज़-ए-बर्क़ कोई
निगाहों में अपनी हर दिन बरसात ख़ामोशी से
शायद तुम्हें ख़बर न हो लेकिन यूँ भी
बयाँ होते हैं कई जज्बात ख़ामोशी से
दिल की दुनिया भी कितनी ख़ामोश दुनिया है
किसी शाम हो गई इक वारदात ख़ामोशी से
माईले-सफर हूँ, बुझा-बुझा तन्हा-तन्हा
पहलू में लिए दर्द की कायनात ख़ामोशी से
मुट्ठी में रेत उठाये चला था जैसे मैं
आहिस्ता-आहिस्ता सरकती गई हयात ख़ामोशी से



कहने को कह गए कई बात ख़ामोशी से
कटते-कटते कट ही गई रात ख़ामोशी से
न शोर-ए-हवा, न आवाज़-ए-बर्क़ कोई
निगाहों में अपनी हर दिन बरसात ख़ामोशी से
शायद तुम्हें ख़बर न हो लेकिन यूँ भी
बयाँ होते हैं कई जज्बात ख़ामोशी से



दिल की दुनिया भी कितनी ख़ामोश दुनिया है
किसी शाम हो गई इक वारदात ख़ामोशी से
माईले-सफर हूँ, बुझा-बुझा तन्हा-तन्हा
पहलू में लिए दर्द की कायनात ख़ामोशी से
मुट्ठी में रेत उठाये चला था जैसे मैं
आहिस्ता-आहिस्ता सरकती गई हयात ख़ामोशी से


SANTOSH PIDHAULI

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