(1) देखने में पतली कितनी , तुझमें न कोई ताकत हैं ,
डल जाती पैमानों में जब, तेरे ना कोई बराबर हैं |
निर्दोषों पर दोष लगाते , तूझे देख कर आहें भरते हैं |
(3) तीर चलाती दुनिया उन पर , जो साथ में तेरे रहते हैं ,
फिर भी वो दीवाने , तेरी राहों में भटकतें रहतें हैं |
(4) जब साथ कोई ना मेरा दें , एक तू ही साथ निभाती हैं ,
भुलाकर गम की दुनिया , मुझे जन्नत में लें जाती हैं |
(5) होती है तन्हाईयाँ कभी ओर याद किसी आती हैं ,
तेरी केवल एक झलक ही , मुझे उसके पास ले जाती हैं |
(6) कस्में खाई है हमने , सदा तेरी राहों में रहने की ,
(7) एक में भी दीवाना हूँ तेरा , तुझसें सब रिश्ते - नाते हैं ,
खाकर शबाब की ठोंकरें , गम खाने सें बच जाते हैं |
(8) मिलें अश्कों सें छुटकारा , दुनिया में ऐसी पनाह नहीं ,
दर्द दिल मिटाने को , दवा तुमसे बेहतर कोई नहीं |
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