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शराब


(1) देखने में पतली कितनी , तुझमें कोई ताकत हैं ,
डल जाती पैमानों में जब, तेरे ना कोई बराबर हैं |

(2) करते नफरत तेरे सें , तेरा नाम लेने सें डरते हैँ ,
निर्दोषों पर दोष लगाते , तूझे देख कर आहें भरते हैं |


(3) तीर चलाती दुनिया उन पर , जो साथ में तेरे रहते हैं ,
फिर भी वो दीवाने , तेरी राहों में भटकतें रहतें हैं |

(4) जब साथ कोई ना मेरा दें , एक तू ही साथ निभाती हैं ,
भुलाकर गम की दुनिया , मुझे जन्नत में लें जाती हैं |


(5) होती है तन्हाईयाँ कभी ओर याद किसी आती हैं ,
तेरी केवल एक झलक ही , मुझे उसके पास ले जाती हैं |


(6) कस्में खाई है हमने , सदा तेरी राहों में रहने की ,
तोड़कर रस्में दुनिया की , दामन तेरा पकड़ने की |


(7) एक में भी दीवाना हूँ तेरा , तुझसें सब रिश्ते - नाते हैं ,
खाकर शबाब की ठोंकरें , गम खाने सें बच जाते हैं |

(8) मिलें अश्कों सें छुटकारा , दुनिया में ऐसी पनाह नहीं ,
दर्द दिल मिटाने को , दवा तुमसे बेहतर कोई नहीं |

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SANTOSH PIDHAULI

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